हिमाचल प्रदेश के मण्डी जिले में मण्डी से लगभग 25 किलोमीटर
दूर एक झील है – रिवालसर झील।
यह चारों ओर पहाडों से घिरी एक छोटी सी खूबसूरत झील है। इसकी हिन्दुओं, सिक्खों और बौद्धों के लिये बडी ही महिमा है। इसका एक नाम पद्मसम्भव भी है।कहते हैं कि बौद्धों के महान तान्त्रिक और गुरू पद्मसम्भव यहां से तिब्बत गये थे।
यहां के एक गोम्पा में उनकी मूर्ति है। इस मन्दिर का बाहरी हिस्सा तिब्बती शैली में बना है। एक और किस्सा यह है कि गुरू पद्मसम्भव साधना के लिये यहां आये थे। तत्कालीन मण्डी नरेश की पुत्री उनकी शिष्या बनी और बाद में पत्नी भी। राजा ने इसे अपमान समझा और पद्मसम्भव को जला देने का हुक्म दे दिया। लेकिन आग की लपटें जलरूप में बदल कर झील बन गयी। इसी झील का नाम हुआ पद्मसम्भव।
रिवालसर का एक सम्बन्ध लोमश ऋषि से भी जुडा है। उन्हे एक तपस्या स्थल की खोज थी, जो उन्हे यहां मिला। झील के किनारे ही उनका मन्दिर है। साथ में एक शिवालय और कृष्ण मन्दिर भी है।
सिक्ख धर्म से भी इसका महत्व जुडा हुआ है। सिक्खों के दसवें गुरू गोविन्द सिंह हिमाचल प्रवास के दौरान 1758 में यहां आये थे। उन्होनें मुगल सम्राट औरंगजेब से टक्कर लेने के लिये और जीतने के लिये गुरू पद्मसम्भव से आशिर्वाद लिया था।
यह चारों ओर पहाडों से घिरी एक छोटी सी खूबसूरत झील है। इसकी हिन्दुओं, सिक्खों और बौद्धों के लिये बडी ही महिमा है। इसका एक नाम पद्मसम्भव भी है।कहते हैं कि बौद्धों के महान तान्त्रिक और गुरू पद्मसम्भव यहां से तिब्बत गये थे।
यहां के एक गोम्पा में उनकी मूर्ति है। इस मन्दिर का बाहरी हिस्सा तिब्बती शैली में बना है। एक और किस्सा यह है कि गुरू पद्मसम्भव साधना के लिये यहां आये थे। तत्कालीन मण्डी नरेश की पुत्री उनकी शिष्या बनी और बाद में पत्नी भी। राजा ने इसे अपमान समझा और पद्मसम्भव को जला देने का हुक्म दे दिया। लेकिन आग की लपटें जलरूप में बदल कर झील बन गयी। इसी झील का नाम हुआ पद्मसम्भव।
रिवालसर का एक सम्बन्ध लोमश ऋषि से भी जुडा है। उन्हे एक तपस्या स्थल की खोज थी, जो उन्हे यहां मिला। झील के किनारे ही उनका मन्दिर है। साथ में एक शिवालय और कृष्ण मन्दिर भी है।
सिक्ख धर्म से भी इसका महत्व जुडा हुआ है। सिक्खों के दसवें गुरू गोविन्द सिंह हिमाचल प्रवास के दौरान 1758 में यहां आये थे। उन्होनें मुगल सम्राट औरंगजेब से टक्कर लेने के लिये और जीतने के लिये गुरू पद्मसम्भव से आशिर्वाद लिया था।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति . आभार .
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