हिमाचल प्रदेश में जंगली फलों का भंडार
Author:
naresh
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हिमाचल
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काशमल
आखा
काफल
प्रदेश में जंगली फलों के जनन द्रव्यों का भंडार मौजूद है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कार्य नहीं किया गया। नतीजतन यहां की कई जंगली प्रजातियों का आस्तित्व अब खतरे में है। जंगली फल भविष्य की फसलें हैं। इसलिए इसका संरक्षण जरूरी है। यहां जंगली फलों के समुचित दोहन के लिए भी प्रयास नहीं किए गए। जंगली फलों के जनन द्रव्यों का संरक्षण कर इनके अच्छे गुणों का उपयोग हम व्यावसायिक रूप में कर सकते हैं। इससे हमारी आने वाली पीढिय़ां भी लाभांवित हो सकेंगी। जंगली फलों की उपलब्ध प्रजातियों का सही दोहन नहीं हो पा रहा है। प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले जंगली फलों में पोषक तत्वों और औषधीय गुणों का खजाना होता है। यहां के जंगलों में जंगली फलों के भंडार है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जंगली पौधों में जलवायु परिवर्तन, रोगों व कीटों से लडऩे और विभिन्न परिस्थितियों में उगने की क्षमता होती है।
विशेषज्ञ कहते हैं
डॉ. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी नौणी स्थित राष्ट्रीय वनीकरण एवं पारिस्थितिकीय विकास बोर्ड के क्षेत्रीय केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि जंगली फलों पर शोध, खेती व इसके दोहन पर कार्य नहीं हुआ है। जंगली फलों में पोषक तत्वों का खजाना होता है। जंगली फल, काफल, करोंधा,कशमल, अंजीर, बिल, आमला, कैंथ आदि सैकड़ों फल हैं, जिन पर कार्य करने की
जरूरत है।
Posted by naresh
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अच्छी पोस्ट हैं, अच्छी जानकारी हैं. फलो को देखकर मुह में पानी आ गया......
साभार
हम बचपन में एक जंगली फल ''गर्ना' खूब खया करते थे. यह बड़े बड़े कॉंटो वाली झाड़ी का फल है जो मैंने बाज़ार में कभी नहीं देखा.
sundar aur swadisht jankari !
yes sir, need of the time.
Rightly said these underutilised fruits are on the verge of extinction. Pyaara himachal is doing a gud job by documenting these valuable fruits.we all should try to conserve them by their use n cultivation