गर्मियों की छुट्टियों के शुरू होते ही हिल स्टेशंस खचाखच भर जाते हैं। ऐसे में वहां रहने तक के लिए आपको दोगुने पैसे खर्च करने होते हैं। इस बार आप कुछ नया ट्राई करिए। हिल स्टेशन का मजा और साथ में एडवेंचर। ऐसी ही जगह है चायल।
हिमाचल की वादियों में बसा है चायल। चायल की खासियत है इसका चारों ओर से पहाड़ों से घिरा होना। यह समुद्र तल से 2,250 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है। पहाड़ों का हरा-भरा नजारा यहां से आपके मन को जोड़ देता है और मौसम की तो बात ही क्या, हर महीने ऐसा मौसम रहता है जैसे भगवान ने एयर कंडीशनर लगा दिया हो। गर्मियों में भी यहां का तापमान ज्यादा नहीं बढ़ता और मौसम सुहावना रहता है। इसलिए यह आपकी गर्मियों की छुट्टियों के लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन बन सकता है।
चलिए, पहले आपको बताते हैं इसके बसने की कहानी। पटियाला के महाराज भूपेंद्र सिंह को जब अंग्रेजों ने शिमला में जाने से रोक दिया था तब महाराज ने इसे 1891 में बसाया था। उन्होंने चैल को अपनी गर्मियों की राजधानी बनाया था। चैल में एक छोटा सा गांव बसा हुआ है। यह गांव देवदार के पेड़ों से घिरा है या आप कह सकते हैं कि गांव के इर्द-गिर्द देवदार का जंगल है। जिस पहाड़ के बीच में चायल बसा है वह पहाड़ करीब 2,226 मीटर ऊंचा है। महाराज का पैलेस भी आम लोगों के लिए होटल के तौर पर खोल दिया गया है। आप इस पैलेस में रहने का आनंद उठा सकते हैं।
कितनी दूर और कैसे पहुंचेंगे
चायल, शिमला से 46 किलोमीटर दूर है। जबकि दिल्ली से इसकी दूरी 382 किलोमीटर है। कांडाघाट से यहां पहुंचने में 90 मिनट लगते हैं। कांडाघाट के लिए आप काल्का-शिमला रेल ले सकते हैं। घाटी की सुंदरता को देखने के लिए आप यहां तक पहुंचने के लिए टॉय ट्रेन भी ले सकते हैं। शिमला तक आप विमान से जा सकते हैं, लेकिन इसके बाद आपको सड़क से ही आगे जाना होगा। यहां का सबसे करीबी एयरपोर्ट है जुब्बर हती एयरपोर्ट। जो चैल से 63 किलोमीटर दूर है। यहां से आप टैक्सी या जीप ले सकते हैं जिसका किराया करीब 1500 रुपए है। यह एयरपोर्ट दिल्ली-चंडीगढ़ से जुड़ा हुआ है।
अगर ट्रेन से जाना है तो काल्का स्टेशन उतरना होगा। यहां से चैल 86 किलोमीटर दूर है। यहां से कैब लेने पर 1700 रुपए का किराया देना होगा। चंडीगढ़ से चैल की दूरी 95 किलोमीटर है।
क्या है देखने लायक
बर्फ से ढके शिवालिक पहाड़ यहां का खास आकर्षण हैं। चायल को सबसे ऊंचाई पर बने क्रिकेट और गोल्फ फील्ड्स के लिए भी जाना जाता है। यह ग्राउंड पेड़ों से घिरा है। पहाड़ से सतलुज नदी निकलती है जो इस जगह के सौंदर्य को कई गुना बढ़ा देते हैं। महाराजा का निवास भी काफी सुंदर है। आप यहां ठहर भी सकते हैं। इसके अलावा इन जगहों पर जाएं-
सिद्ध बाबा का मंदिर: यह मंदिर महाराज भूपेंद्र सिंह ने बनवाया था। कहा जाता है कि महाराज के सपने में एक सिद्ध पुरुष आए थे और उनके कहने पर ही राजा ने उस जगह सिद्ध पीठ की स्थापना की। यह चैल से 1.5 किमी. दूर है।
क्रिकेट ग्राउंड: यह विश्व का सबसे ऊंचा क्रिकेट ग्राउंड है। इसे 1893 में बनवाया गया था। यहां विश्व का सबसे ऊंचा पोलो ग्रांउड भी है। ये दोनों ग्राउंड चैल से 3 किलोमीटर दूर हैं।
हिमाचल की वादियों में बसा है चायल। चायल की खासियत है इसका चारों ओर से पहाड़ों से घिरा होना। यह समुद्र तल से 2,250 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है। पहाड़ों का हरा-भरा नजारा यहां से आपके मन को जोड़ देता है और मौसम की तो बात ही क्या, हर महीने ऐसा मौसम रहता है जैसे भगवान ने एयर कंडीशनर लगा दिया हो। गर्मियों में भी यहां का तापमान ज्यादा नहीं बढ़ता और मौसम सुहावना रहता है। इसलिए यह आपकी गर्मियों की छुट्टियों के लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन बन सकता है।
चलिए, पहले आपको बताते हैं इसके बसने की कहानी। पटियाला के महाराज भूपेंद्र सिंह को जब अंग्रेजों ने शिमला में जाने से रोक दिया था तब महाराज ने इसे 1891 में बसाया था। उन्होंने चैल को अपनी गर्मियों की राजधानी बनाया था। चैल में एक छोटा सा गांव बसा हुआ है। यह गांव देवदार के पेड़ों से घिरा है या आप कह सकते हैं कि गांव के इर्द-गिर्द देवदार का जंगल है। जिस पहाड़ के बीच में चायल बसा है वह पहाड़ करीब 2,226 मीटर ऊंचा है। महाराज का पैलेस भी आम लोगों के लिए होटल के तौर पर खोल दिया गया है। आप इस पैलेस में रहने का आनंद उठा सकते हैं।
कितनी दूर और कैसे पहुंचेंगे
चायल, शिमला से 46 किलोमीटर दूर है। जबकि दिल्ली से इसकी दूरी 382 किलोमीटर है। कांडाघाट से यहां पहुंचने में 90 मिनट लगते हैं। कांडाघाट के लिए आप काल्का-शिमला रेल ले सकते हैं। घाटी की सुंदरता को देखने के लिए आप यहां तक पहुंचने के लिए टॉय ट्रेन भी ले सकते हैं। शिमला तक आप विमान से जा सकते हैं, लेकिन इसके बाद आपको सड़क से ही आगे जाना होगा। यहां का सबसे करीबी एयरपोर्ट है जुब्बर हती एयरपोर्ट। जो चैल से 63 किलोमीटर दूर है। यहां से आप टैक्सी या जीप ले सकते हैं जिसका किराया करीब 1500 रुपए है। यह एयरपोर्ट दिल्ली-चंडीगढ़ से जुड़ा हुआ है।
अगर ट्रेन से जाना है तो काल्का स्टेशन उतरना होगा। यहां से चैल 86 किलोमीटर दूर है। यहां से कैब लेने पर 1700 रुपए का किराया देना होगा। चंडीगढ़ से चैल की दूरी 95 किलोमीटर है।
क्या है देखने लायक
बर्फ से ढके शिवालिक पहाड़ यहां का खास आकर्षण हैं। चायल को सबसे ऊंचाई पर बने क्रिकेट और गोल्फ फील्ड्स के लिए भी जाना जाता है। यह ग्राउंड पेड़ों से घिरा है। पहाड़ से सतलुज नदी निकलती है जो इस जगह के सौंदर्य को कई गुना बढ़ा देते हैं। महाराजा का निवास भी काफी सुंदर है। आप यहां ठहर भी सकते हैं। इसके अलावा इन जगहों पर जाएं-
सिद्ध बाबा का मंदिर: यह मंदिर महाराज भूपेंद्र सिंह ने बनवाया था। कहा जाता है कि महाराज के सपने में एक सिद्ध पुरुष आए थे और उनके कहने पर ही राजा ने उस जगह सिद्ध पीठ की स्थापना की। यह चैल से 1.5 किमी. दूर है।
क्रिकेट ग्राउंड: यह विश्व का सबसे ऊंचा क्रिकेट ग्राउंड है। इसे 1893 में बनवाया गया था। यहां विश्व का सबसे ऊंचा पोलो ग्रांउड भी है। ये दोनों ग्राउंड चैल से 3 किलोमीटर दूर हैं।
source:http://www.livehindustan.com/news/lifestyle