समंदर तल से 9 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित पराशर झील के नजारे जन्नत से कम नहीं हैं। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पराशर में सरानाहुली मेले में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है |
पहली आषाढ़ को हर साल लगने वाले इस मेले में देव आस्था देखते ही बनती है। पुलिस प्रशासन ने कुछ जगहों पर वाहनों की पार्किंग के लिए स्थान चिन्हित किया होता है। लेकिन, समंदर तल से 9 हजार फीट की ऊंचाई पर श्रद्धालुओं की भीड़ से वाहनों की कतार छह किलोमीटर पीछे तक लगी रहती है।
पराशर मंदिर और झील परिसर में तो नजारा ही अलग रहता है। जहां लगभग 25 देवी देवताओं ने अपनी हाजिरी भरते हैं। इनके साथ आए सैकड़ों बजंतरियों ने देव वाद्य यंत्रों की ध्वनि से पूरी घाटी को ही गूंजायमान कर देते हैं।
इलाका उत्तरसाल, स्नोर और बदार के अलावा अन्य क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं को कई कई घंटे लाइनों में खड़े होकर महर्षि पराशर के दर्शन करते हैं। देवी देवताओं ने देवलुओं के साथ पवित्र झील की परिक्रमा की तथा जल स्नान भी करते हैं। श्रद्धालुव् व् झील से निकलने वाली खास किस्म की घास को आशीर्वाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
सरानाहुली पराशर मेले में सदियों से सैकड़ों बकरों की बलि दी जाती थी। दो साल पहले उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक के बाद यह पूरी तरह से बंद हो गई है।
बर्फ के दिनों में पराशर झील कुछ ऐसे दिखती है।
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पहली आषाढ़ को हर साल लगने वाले इस मेले में देव आस्था देखते ही बनती है। पुलिस प्रशासन ने कुछ जगहों पर वाहनों की पार्किंग के लिए स्थान चिन्हित किया होता है। लेकिन, समंदर तल से 9 हजार फीट की ऊंचाई पर श्रद्धालुओं की भीड़ से वाहनों की कतार छह किलोमीटर पीछे तक लगी रहती है।
पराशर मंदिर और झील परिसर में तो नजारा ही अलग रहता है। जहां लगभग 25 देवी देवताओं ने अपनी हाजिरी भरते हैं। इनके साथ आए सैकड़ों बजंतरियों ने देव वाद्य यंत्रों की ध्वनि से पूरी घाटी को ही गूंजायमान कर देते हैं।
इलाका उत्तरसाल, स्नोर और बदार के अलावा अन्य क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं को कई कई घंटे लाइनों में खड़े होकर महर्षि पराशर के दर्शन करते हैं। देवी देवताओं ने देवलुओं के साथ पवित्र झील की परिक्रमा की तथा जल स्नान भी करते हैं। श्रद्धालुव् व् झील से निकलने वाली खास किस्म की घास को आशीर्वाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
सरानाहुली पराशर मेले में सदियों से सैकड़ों बकरों की बलि दी जाती थी। दो साल पहले उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक के बाद यह पूरी तरह से बंद हो गई है।
बर्फ के दिनों में पराशर झील कुछ ऐसे दिखती है।
source: amar ujala
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